कुम्हार की कहानी - लब्धप्रणाशा - पंचतंत्र
कुम्हार की कहानी - लब्धप्रणाशा - पंचतंत्र एक कुम्हार था जिसका नाम युधिष्ठिर था। एक बार वह टूटे हुए घड़े के नुकीले ठीकरे से टकरा कर गिर गया । कुम्हार ठीकरे के ऊपर इस तरह गिरा कि वह ठीकरा सीधा उसके माथे में घुस गया । काफी खून बहने लगा । घाव वहुत गहरा था, कुम्हार ने दवा-दारु भी लगाया लेकिन ठीक न हुआ । घाव धीरे - धीरे बढ़ता ही गया । कई महीने घाव को ठीक होने में लग गये । ठीक होने के बाद भी घाव का निशान कुम्हार के माथे पर रह गया । कुछ दिन बाद उस देश में दुर्भिक्ष पड़ने लगा इस कारण कुम्हार एक दूसरे देश चला गया । वहाँ जाकर वह राजा के सेवकों में भर्ती हो गया । राजा की नजर एक दिन उसके माथे पर लगे घाव के निशान पर पड़ी। उस निशान को देखकर राजा ने समझा कि यह अवश्य ही कोई वीर पुरुष होगा , जो युद्ध में शत्रु का सामने से मुकाबला करते हुए घायल हो गया होगा । यह समझकर राजा ने कुम्हार को अपनी सेना में उच्च पद दे दिया । लेकिन राजा के पुत्र व अन्य सेनापति इस सम्मान को देखकर खुश नहीं थ...