हाथी और गौरैया - मित्रभेद - पंचतंत्र की कहानी


हाथी और गौरैया - मित्रभेद - पंचतंत्र

एक घने जंगल में किसी पेड़ पर एक गौरैया अपने पति के साथ रहती थी। एक मजबूत पेड़ पर उनका घोंसला था। वह अपने घोंसले में अंडों से चूजों के निकलने का बेसब्री से इंतज़ार कर रही थी। एक दिन की बात है गौरैया अपने अंडों को से रही थी, और उसका पति रोज की तरह खाने के इन्तजाम के लिए बाहर गया हुआ था।

तभी वहां एक गुस्सैल हाथी आया और आस-पास के पेड़ पौधों को रौंदते हुए तोड़-फोड़ करने लगा। उसी तोड़ फोड़ के दौरान वह गौरैया के पेड़ तक भी पहुंच गया और उसने पेड़ को गिराने के लिए उसे जोर-जोर से हिलाया, पेड़ काफी मजबूत था इसलिए हाथी पेड़ को तो नहीं तोड़ पाया और वहां से चला गया, लेकिन हाथी के हिलाने से उस पेड़ से गौरैया का घोसला टूटकर नीचे आ गिरा और उसके सारे अंडे फूट गए।

गौरैया यह सब देखकर बहुत दुखी हुई और जोर - जोर से रोने लगी, तभी उसका पति भी वहां वापस आ गया। वह भी बेचारा यह देखकर बहुत दुखी हुआ। इसके बाद उन्होंने हाथी से बदला लेने और उसे अच्छा सबक सिखाने का फैसला किया। वे दोनों अपने मित्र कठफोड़वा के पास पंहुचे और उसे सारा बृतान्त बताया। वे दोनों चाहते थे कि हाथी से बदला लेने में कठफोड़वा उनकी मदद करे। उनकी बात सुनकर कठफोड़वा अपने अन्य दो दोस्तों के पास पहुंचा जिनमे एक मधुमक्खी थी और एक मेंढक था। इस तरह तीनों ने मिलकर हाथी से बदला लेने की योजना बनाई।

तय योजना के तहत सबसे पहले मधुमक्खी ने काम शुरू किया। उसने हाथी के कान में गाना गुनगुनाना शुरू किया। हाथी को उस संगीत में मजा आने लगा, और जब हाथी संगीत में डूबा हुआ था, तो कठफोड़वा ने अगले चरण पर काम करना शुरू कर दिया। उसने हाथी की दोनों आँखें फोड़ दी। हाथी दर्द से कराहने लगा। उसके बाद मेंढक अपनी मेढ़कों की पलटन के साथ एक दलदल के पास गया, और सब मिलकर वहां जोर - जोर से टर्राने लगे। मेंढकों की टर्राने की आवाज सुनकर हाथी को लगा कि पास में ही कोई पानी से भरा तालाब है। वह उस आवाज की दिशा में गया और दलदल में फंस गया। इस तरह से हाथी धीरे-धीरे दलदल में फंस गया और मर गया।


इस कहानी से सीख : इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि कमजोर से कमजोर लोग भी यदि एकजुट होकर काम करें तो बड़े से बड़े और कठिन से कठिन कार्य को अंजाम तक पहुंचा सकते है, और बड़े से बड़े शत्रु को भी पराजित किया जा सकता है।


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