भेड़िया और लड़का / charwaha aur bhediya ki kahani

झूँठ का फल 

चरवाहा और भेड़िया 

एक समय की बात हैं। एक गांव का लड़का भेड़ और बकरियों को चराने के लिए जंगल में जाया करता था। वह चरवाहा लड़का वहुत ही धूर्त और झूठा था। भेड़ें दिनभर चरती रहती थी वह बैठा रहता था। वह बैठा -बैठा ऊब जाता था इसलिए वह अपने मनोरंजन के लिए कुछ न कुछ सोचता रहता था। वह हमेशा यही सोचता रहता था की गांव बालों को या किसी अन्य को बेवकूफ कैसे बनाया जाय। वह दूसरों का मजाक बनाने के लिए नई नई योजनाएं बनाने में ही लगा रहता था। और उसे ऐसा करने में बहुत ही मजा आता था।
  
वह एक दिन जंगल में भेड़ चराने गया। जंगल के पास ही किसानों के खेत थे। किसान अपने खेतों में काम कर रहे थे। उन किसानो को देखकर उस लड़के ने सोचा क्यों न आज इन किसानों को बेवकूफ बनाया जय। वह सोचने लगा ऐसा क्या काम किया जाये कि सारे किसान अपना अपना काम छोड़कर परेशान होने लगे। अचानक उसके दिमाग में एक घटिया और गन्दा विचार आया। 

वह चरवाहा लड़का जोर जोर से चिल्लाने लगा। वचाओ... , वचाओ... ! भेड़िया आ गया। कोई मेरी सहायता करो। 

सभी किसान लड़के की चिल्लाने की आवाज सुनकर, अपना अपना काम छोड़कर, और जिस किसी के हाथ में जल्दी से जो भी आया जैसे - लाठी, दराँती, फाबड़ा, गैंती आदि लेकर उस लड़के की सहायता के लिए दौड़ पड़े। 

जब किसान उस लड़के के पास पहुंचे और पूछने लगे। कहां हैं भेड़िया ? किधर हैं ? यहाँ तो भेड़िया कहीं भी नजर नहीं आ रहा ? तो वह लड़का उन किसानों की बातें सुनकर जोर जोर से हंसने लगा। और कहने लगा यहाँ कोई भेड़िया नहीं आया। में तो मजाक कर रहा था। तुम क्यों भागे चले आये। जाओ तुम यहाँ से !

किसानो ने लड़के को बहुत डाटा, और अपने खेतों में बापस लौट आये।
  
उनके जाने के बाद वह लड़का अपने आप से बोला " बाह " मेने अकेले ने इतने सारे लोगों को क्या बेवकूफ बनाया है ? मजा आ गया आज तो !

कुछ दिनों के बाद उस धूर्त लड़के ने अपनी आदतानुसार फिर से ऐसा ही किया। और सीधे साधे किसान भी एक बार फिर से उस लड़के की सहायता के लिए दौड़े चले आये। वह लड़का फिर से जोर जोर से हंसने लगा। और किसानो से कहने लगा, कि तुम्हारे पास और कोई काम नहीं हैं जो मामूली सी चीख पर अपना अपना काम छोड़कर दौड़े चले आते हो। जाओ यहाँ से !

उस लड़के की बाते सुनकर किसानो को बहुत गुस्सा आया। उस लड़के को डांटा, फटकारा और अपने खेतों की ओर बापस आ गए। अब किसानों ने दृढ़ निश्चय किया, कि अब कोई भी इस लड़के के चीखने पर इसकी सहायता के लिए नहीं आएगा। अब सभी किसानो ने निशचय किया इसकी सहायता के लिए कभी नहीं आना है। 

कुछ दिन बाद! एक दिन सचमुच भेड़िया उसकी भेड़ों के पास आ पहुंचा। और वह लड़का उस भेड़िये को देखकर घवरा गया और नजदीक एक पेड़ पर चढ़ गया। पेड़ पर चढ़ कर वह जोरों से चिल्लाने लगा। कोई मदद करो ! भेड़िया आ गया ! कोई मदद करो ! भेड़िया आ गया ! 

भेड़िया और लड़का
भेड़िया भेड़ों को मरता हुआ 
इस बार उस लड़के की सहायता के लिए कोई नहीं आया। वह चिल्लाता रहा। सभी किसानों ने कहा कि यह लड़का एक बार फिर से हम सब को बेवकूफ बनाने की कोशिश कर रहा हैं। हमे अपने काम को छोड़कर इस धूर्त और झूंठे लड़के के चिल्लाने पर नहीं जाना चाहिए। वह चिल्लाता रहा और भेड़िया भेड़ों को मारता रहा। इस तरह भेड़िये ने कई भेड़ों को मार डाला। 

यह देखकर वह लड़का बहुत दुखी हुआ। उस लड़के को अपने किये पर बहुत पछताबा और दुःख हुआ। 

शिक्षा - दोस्तों जो लोग बात बात पर झूंठ बोलते हैं उन पर कोई विश्वास नहीं करता। 





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